चलिए पाँच राज्यों में चुनाव हो गए और फ़ैसला भी आ गया। हालांकी राजस्थान में चुनावी नतीजों ने बीजेपी को सकते में डाल दिया है... ख़ैर आने वाले दिनों में पार्टी हार के कारणों का पता भी लगा लेगी। यहा मैं नए निज़ाम यानी कांग्रेस का ज़िक्र करना चाहता हूँ। कांग्रेस जैसे तैसे जीत की दहलीज़ तक पहुँच ही गई और जोड़-जुगाड़ करके मंत्रीमंडल का गठन भी कर लेगी... लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर दो-तीन दिन जो एपीसोड चला वो एक बानगी है हमारे गर्त में जाते राजनीति की। प्रदेश में कांग्रेस जब जीत कर आई तभी यह लगभग तय हो गया था अगले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत होंगे, लेकिन हमारे राजनेता अपने स्वार्थ की बली कैसे दे देते...? सब शुरु हो गए अपनी-अपनी दावेदारी पेश करने में, कोई चाहता था जाट मुख्यमंत्री, तो कोई चाहता था मुख्यमंत्री किसान वर्ग से। अब सवाल यह है कि मुख्यमंत्री होने के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए? एक आम आदमी के नज़रिए से देखे तो मुख्यमंत्री एक ऐसा व्यक्ति हो जो एक अच्छा लीडर हो, जो लोगों के दर्द के समझे और प्रदेश को प्रगति की राह पर आगे ले जाए। लेकिन कुछ मुट्ठी भर लोग यह चाहते थे कि मुख्यमंत्री या तो फलां जाती का हो या फिर फलां वर्ग का, ख़ैर भला हो पार्टी हाईकमान का जो किसी की दबाव में नहीं आई और एक उचित फ़ैसला लिया। वैसे यह मामला तो यहीं सुलट गया लेकिन जिस तरह से राजनीति पर जातिवाद हावी हो रहा है उससे लगता नहीं कि हम एक बहुत बड़े विभाजन की ओर बढ़ रहे है?
It should be a "BLACK DAY"
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Haal-e-mulq do lafzon mein ab kya bataein,
Ek taraf hai khali pet, To ek taraf zinda jal rahi hai chitaein.
Mausam ameeron ka to meharbaan hai,
Lekin alam t...
14 years ago
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