ज़ुल्फों में उसकी उलझी थी मेरी अंगुलियां
उस बेनूर शाम में दो जिस्म थे रोशन
होंठों तक का सफर जल्द ही पूरा हुआ
पर कशमकश में डूबी थी उसकी धड़कन
बाहर सर्दी का, अदंर था प्यार का कोहरा
दोनों के बीच न रही कोई चिलमन
कुछ यूं कैद हुई उसकी खुशबू मेरी सांसों में
तसव्वुर से ही महक उठता है तन-मन
It should be a "BLACK DAY"
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Waqt aazadi ka yaad aaya hai,
Zehan mein kholta hua khoon bhar aaya hai.
Zulmat mein guzra hai uss daur ka ek-ek din,
Aaina bhi mera aaj theek se ro nahi pa...
13 years ago
simply beautiful and toucning
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