वक्त यह देखो कैसा आया दोस्तों
हाथ तंग, जेब ख़ाली, रिज़्क पे सलीब दोस्तों
खुदकुशी है गुनाह... सबक-ए-क़ुरआन
फ़ैज़, अनवर, सलीम फिर क्यों बने फ़िदायीन दोस्तों
इंतख़ाब की बारिश से जन्नत हुई और भी हसीन दोस्तों
दोनों मुल्क इससे कुछ तो सबक ले दोस्तों
हवाओं का रुख़ भी कभी अपनी तरफ होगा दोस्तों
पूछ-परख होगी हमारी...खैर-मक़दम भी होगा दोस्तों
It should be a "BLACK DAY"
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Waqt aazadi ka yaad aaya hai,
Zehan mein kholta hua khoon bhar aaya hai.
Zulmat mein guzra hai uss daur ka ek-ek din,
Aaina bhi mera aaj theek se ro nahi pa...
14 years ago
bahut khub mere dost
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